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खुशी के एहसास

संदीप कुमार सिंह 18 Apr 2024 कविताएँ प्यार-महोब्बत मुझे विश्वास है कि मेरी यह कविता पाठक गण को अवश्य पसंद आएगी. 1266 0 Hindi :: हिंदी

डायरी के पन्नों में वो सूखे आज गुलाब मिले।                   
स्मृतियों के ताने बाने में,  कुछ खुशी,कुछ गम के अहसास मिले।  
           
दिल की कुछ खाली परतों पर फिर से पुराने राज मिले।                      
भूले थे जिन्हें इतने दिन से,पर आज वो मेरे साथ चले। 

जमी हुई थी धूल वहाँ,कितने दिन से थे बंद पड़े।
धुँधली सी उनकी परछाई जो सदा से मस्तिष्क में दबे पड़े।
 
वह सूखे हुए गुलाब जो दहकते है 
अंगारों से।
कभी खुशबू होती थी इनमें,न जाने कितने चाँद सितारों से।

ये टेसू की गर्माहट सी कितने दिल पर तीर चले।
कभी सेज पर,कभी बाल पर,कितने इनमें ख्वाब बहे।

कभी सजदे के लिए साथ,कभी दिए 
प्रिये को अपने हाथ।
कभी बिछे थे राहों में वो हसरत ले कर साथ-साथ।

कभी इश्क़ सजा,कब प्रेम हुआ,अंतर मन में अहसास रहे।
वो सूखे हुए गुलाब आज फिर से सुहानी याद बने।

मेरी इबादत, मेरी पूजा के सुंदर से गवाह बने।
ये सूखे हुए गुलाब ही है जो आज फिर से ताजी याद दिए।

मेरी कविता मेरी रचना को लेकर अपने साथ चले।
इजहार  ए मुहब्बत के किस्से, फिर आज जेहन में याद बने।

कैसे भूलूँ मैं हे रब्बा! यह ही पल- पल मेरे साथ रहे।
दिन बीते, माह बीते,बरस बीते पर ये अब तक ही साथ चले।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️

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