Jitendra Sharma 30 Mar 2023 गीत प्यार-महोब्बत Jitendra Sharma, aa kahin aur chale, आ कहीं ओर चलें। जितेन्द्र शर्मा, गीत, गजल , कविता 11320 1 5 Hindi :: हिंदी
गीत- आ कहीं ओर चलें। रचना- जितेन्द्र शर्मा कोई तुझको ना चुरा ले, आ कहीं ओर चले। कोई वापस ना बुला ले, आ कही ओर चले। चांद तारों से परे भी, तो जहाँ और कई हैं। हमको आगोश में भर लें, वो जहां ओर कई हैं। कोई उनको ना छुपा ले, आ कहीं ओर चलें। कोई तुझको ना चुराले, आ कहीं ओर चलें। गुनगुनाने पर हो पहरा, हम वहां कैसे रहें। खिलखिलाना भी हो मुस्किल, ये बता कैसे सहें। हम भी तो मुस्कुरा ले, आ कहीं ओर चले। कोई तुझको ना चुरा ले, आ कहीं ओर चलें। वहाँ चले हम, फूलों ने सजाया हो जहां। वहां चलें हम, अपनों से मुस्कराया हो जहां।। अपने को अपनो से मिला लें, आ कहीं ओर चलें। कोई तुझको ना चुरा ले, आ कहीं ओर चलें।
1 year ago