संदीप कुमार सिंह 05 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3660 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) खोया सपना में रहूं,मिले अत्यधिक हर्ष। करता सतत प्रयत्न मैं,प्राण करे उत्कर्ष।। अपना अपना ख्याल है, जीवन है संग्राम। सावधान हम सब रहें,बनिए नहीं हराम।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....