Tulasi Seth 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक उम्मीद भरी कविता 6686 0 Hindi :: हिंदी
कभी तो अंधेरा हटेगा कभी तो रौशनी मिलेगी कभी तो खुसियां मिलेगी तब गम शर्माकर मुहं छुपा लेगी । कभी तो तन्हाईयां महफ़िलें होगी अपनी भी रहगुजर में कभी तो उनकी ग़ज़लें भी सामिल होगी। कभी तो होंठों पे हंसी होगी खिल खिलाती चहकती कली होगी तब आंसू भी कहीं मुस्कानों में ढली होगी। कभी तो वह पल भी हमारे साथ होगें जब हम अपनों के करीब दिलों के पास होगें।