संदीप कुमार सिंह 13 Jun 2023 गीत समाजिक दोहा के रूप में जीवन का वर्णन 5453 0 Hindi :: हिंदी
जीवन अनुसंधान है, यहां खजाना खूब। जितने चाहें खोज लें,बनकर दृढ़ महबूब।। जीवन अनुसंधान है,जिसमें भव्य रहस्य। जितना खोजें हम सभी,बनें तभी अति वस्य।। जीवन अनुसंधान है, होता तभी विकास। मंथन चिंतन नित करें, लिखें नव्य इतिहास।। जीवन अनुसंधान है, छिपा ज्ञान का बीज। खुद को खुद से सींच लें,सबका बनें अजीज।। जीवन अनुसंधान है, सभी जान यह बात। अपने को पहचान कर,बनें नहीं बारात।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....