Beauty yadav 03 Feb 2024 कहानियाँ बाल-साहित्य पिता की सीख 12760 0 Hindi :: हिंदी
दो भाई बहन थे प्रज्ञा और अमित, प्रज्ञा अमित से बड़ी थी,प्रज्ञा कक्षा 8 की छात्रा थी अमित कक्षा 7 का छात्र था । दोनों साथ में साइकिल से स्कूल जाया करते थे,एक दिन अमित की साइकिल उसके एक दोस्त ने खराब कर दी, अमित ने अपनी बहन प्रज्ञा को बताया कि मेरे दोस्त ने मेरी साइकिल खराब कर दी है,प्रज्ञा बड़ी थी इसलिए उसने अमित के दोस्त को डांटा और कहा कि साइकिल खराब की है उसके पैसे दो या साइकिल ठीक करवाओ , अमित के दोस्त ने साइकिल ठीक करवाने के लिए पैसे दे दिए । प्रज्ञा की एक आदत थी कि वह पूरे दिन की सारी घटना को शाम को अपने पापा को बताया करती थी, उस दिन भी जब वह शाम को घर पहुंची तो उसने अपने पापा को साइकिल वाली बात बताई, तो प्रज्ञा के पापा ने प्रज्ञा को समझाया और कहा कि बेटा ,अमित के दोस्त से गलती हुई तुमने उसे डांटा ठीक किया ,लेकिन कल उसके पैसे जाकर वापस कर देना,तो प्रज्ञा ने कहा क्यों ? पापा .. प्रज्ञा के पापा ने अपने दोनों बच्चों को अपने पास बिठाकर समझाते हुए कहा बेटा जब कभी बच्चे गलती करते हैं तो मां-बाप से उन्हें डांट पड़ती है ,और बो डर के कारण गलती को मां-बाप को नहीं बताते ऐसे में अगर तुम उन्हें गलती के पैसे लोगी तो वह पैसे मां-बाप से मांगेंगे नहीं क्योंकि अगर वह पैसे मांगेंगे तो उन्हें अपनी गलती बतानी पड़ेगी जिसके कारण वह पैसे का कहीं और से इंतजाम करने की कोशिश करेंगे ,ऐसे में बच्चे पैसे कहां से लाएंगे और बच्चों की चोरी करने की आदत पड़ सकती है तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए । तुम्हें ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जिससे कोई बच्चा गलत दिशा में कदम बढ़ाने की कोशिश करे । अगले दिन प्रज्ञा ने उस बच्चे के पैसे वापस कर दिए है । इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर मां-बाप अपने बच्चों को कभी गलत शिक्षा नहीं देंगे उन्हें गलती करने पर समझाएंगे तो बच्चे कभी भी गलत दिशा में नहीं जाएंगे । जो इंसान यह सोचेगा कि किसी और के बच्चे गलत दिशा में न जाए तो उसके खुद के बच्चे कभी भी कुछ गलत काम नहीं करेंगे ।