महेश्वर उनियाल उत्तराखंडी 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग 79676 0 Hindi :: हिंदी
"मेरा रंगीला यार” झूमता लड़खड़ा होता है दीदार यादों में जिसके रहता है संसार बांटता फिरता है हमेशा वो प्यार ऐसा है मेरा एक रंगीला यार ll दर्द दिखाता नहीं किसी को गलत सिखाता नहीं किसी को कुछ तो है उसमें संस्कार ऐसा है मेरा एक रंगीला यार ll सुबह सवेरे वह राम को ढूंढे शाम ढले तो जाम को ढूंढें करता नहीं कोई काम रहता है बस बेकार ऐसा है मेरा एक रंगीला यार ll हालत बुरी है घर के उसकी बच्चों की भी फौज खड़ी है पर वह कहता है बार-बार कि फिक्र को गोली मारो यार ऐसा है मेरा एक रंगीला यार ll बिन पिए वो रह नहीं पाता पिए बिना कुछ कह नहीं पाता पिलाओ उसको जितना मर्जी कभी न करे इनकार ऐसा है मेरा एक रंगीला यार ll यारी तो कोई उससे सीखे सुख दुख में वो साथ निभाता रहता है हर क्षण तैयार ऐसा है मेरा एक रंगीला यार महेश्वर उनियाल "उत्तराखंडी'