RANJIT MAHATO 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक हितैषी 86537 0 Hindi :: हिंदी
हितैषी तब तक हितैषी रह पाता है, जब तक उसके निजी स्वार्थ में कोई आँच नहीं आता है। जब उसके उसके निजी स्वार्थ पर कोई आँच आ जाता है, तो वो हितैषी वैरी बन जाता है। फिर वह वैरी होने का धर्म निभाता है, जब उसके उसके निजी स्वार्थ पर कोई आँच आ जाता है। हितैषी होने का धर्म वो कहीं पीछे छोड़ आता है, जब उसके निजी स्वार्थ पर कोई आँच आ जाता है।
My name is Ranjit Mahato and I am self-employed by profession. I have a passion for reading and writ...