Manasvi sadarangani 08 Aug 2023 कविताएँ समाजिक नारी झुकती नही 17556 0 Hindi :: हिंदी
नारी झुकती नहीं किसी के आगे, पर बिछ जाती है अपनों के आगे । अपने सपनो को पलकों से उतरने देती ही नही, दूसरो को खुशी देने के लिए, दबा देती है अपने कहीं हसीन ख्वाबों को, जैसे देखे ही न हो कभी, भूल जाती है खुद को तब तक, प्यार मिल रहा हो अपनो का जब तक, पर नारी कभी कमजोर नही होती, जैसी कि वो दिखती है, वो तो एक ताकत है, एक जुनून है, जो खुद के साथ दूसरो को भी संभाल कर रखती है, दिखाती नहीं, पर हर अपने के साथ, खड़ी होती है, डाल बन के, पर खुद की परेशानी कभी बताती भी नही क्योंकि नारी झुकती नहीं किसी के आगे, पर बिछ जाती है अपनों के आगे श्रीमती मनस्वी सदारंगानी