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छत्तीसगढ़ के 21 बरस

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख अन्य State of India 27279 0 Hindi :: हिंदी

छत्तीसगढ़ के 21 बरस
छग देश का 26वां राज्य 1 नवंबर 2000 को बना और अपना इक्कीसवां जन्मदिवस एक नवंबर को राज्योत्सव में धूमधाम से मनाया। 
छग क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का 9वां बड़ा राज्य और 2011 की जनगणना के अनुसार 2 करोड़ 50 लाख जनसंख्या के लिहाज से 17वां बड़ा राज्य है। 
राज्य में 70 फीसद ग्रामीण जनसंख्या है, जिसकी आजीविका का प्रधान साधन कृषि व खेतीहर मजदूरी है।
राज्य स्थापना के पूर्व राज्य में 3 संभाग थे, जो 5 हो गए हैं। जिला पहले 16 था, जो अब नवगठित जिलों को मिलाकर 32 हो गया है। इसी तरह अनुविभागीय क्षेत्र, तहसील, उपतहसील, नगरनिगम, नगरपालिका और नगरपंचायत में नित-नई बढ़ोतरी की जा रही है, लेकिन अफसोस यह कि विकासखंड साल 2000 में 146 था, तो आज भी 146 ही है। इसकी बढ़ोतरी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
यहां धान की उत्पादकता अधिक होने के कारण इसे ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है। सिंचाई के साधनों का विस्तार बस्तर व सरगुजा संभाग में नहीं के बराबर है। यही कारण है कि ये दोनों संभाग शेष तीनों संभागों से काफी पिछड़े हुए हैं। जबकि रायपुर, बिलासपुर एवं दुर्ग संभाग में बहुतायत में सिंचाई सुविधा का विस्तार किया गया है।
2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में 71 प्रतिशत साक्षरता है, लेकिन जो साक्षरता है, उसमें भी ऐसे लोगों की संख्या अधिक है, जो कभी केवल नाम लिखना जानते थे, किंतु वे अब नाम तक लिखना भूल चुके हैं।
बावजूद इसके, पहले जहां केवल 4 विवि थे, अब 14 विवि हो गए हैं। इसी तरह केंद्रीय विवि 1 है, जो पहले नहीं था। दंत महाविद्यालय 6, एम्स 1, आइआइटी 1 आइआइएम 1 है, जो पहले एक भी नहीं था। पहले चिकित्सा महाविद्यालय 1 था, अब 9 हो गए हैं। यही नहीं, यहां विधि विवि सहित पत्रकारिता का विश्वविद्यालय भी है।
राज्य ने शिक्षा और चिकित्सा के साथ-साथ ढांचागत सुविधाओं के विकास और औद्योगिक क्षेत्र में काफी प्रगति की है। स्वास्थ्य के लिए नवीन स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना और उनके लिए सुविधा, जैविक कृषि और जड़ी-बूटियों के उत्पादन में सर्वाधिक योगदान करने के साथ आधुनिक जीवन में आवश्यक बन चुकी बिजली के उत्पादन मंे भी प्रदेश श्रेष्ठ योगदान दे रहा है।
	यहां करीब 40 प्रतिशत भूभाग में वन हैं। वनक्षेत्रों में आदिवासियों का निवासस्थान है, जो राज्य में 33 फीसदी हैं। इस दृष्टि से यह आदिवासीबहुल राज्य है। इन्हीं दुर्गम वनीय क्षेत्रों में नक्सलियों ने अपने गढ़ बना रखा है और सैन्यबलों के नाक में दम कर रखा है। नक्सलवाद प्रदेश की बढ़ी समस्याओं में-से एक है। 
छग के बैलाडिला का लौह अयस्क विश्वप्रसिद्ध है, जो जापान को निर्यात किया जाता है। बैलाडिला के लौह अयस्क के चलते अब बस्तर जिला के नगरनार में काफी अरसे के बाद स्टील प्लांट स्थापित किया जा रहा है।
	दल्ली राजहरा के लौह अयस्क से भिलाई इस्पात संयंत्र संचालित है। रावघाट से भिलाई को लौह अयस्क की पूर्ति के लिए रेललाइन बिछाने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है, जो स्तुत्य प्रयास है।
	छग हर्बल राज्य और पावर सरप्लस राज्य कहलाता है। बिलासपुर संभाग राज्य का पावरहब है। अब, सरगुजा संभाग भी पावरहब बनने की ओर अग्रसर है। 
सरकारी और निजी सेक्टर मिलकर यहां करीब 23 हजार मेगावाट से अधिक विधुत-उत्पादन करते हैं। सरगुजा संभाग के खदानों से निकलनेवाले काले पत्थरों से यहां की धमनभट्टियां चला करती हैं।
	इसी तरह परसदा स्थित शहीद वीर नारायण सिंह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और नवा रायपुर-राजधानी में जंगल सफारी अद्वितीय है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम दर्शक क्षमता 65 हजार के साथ भारत का दूसरा बड़ा स्टेडियम कहलाने का गौरव हासिल है। जंगल सफारी भी एशिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी कहलाती है।
	42 फीसद वन क्षेत्र से घिरे प्रदेश में नैसर्गिक, संस्कृति व सौंदर्य से जुड़े पर्यटनस्थलों की भरमार है, जहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यदि प्रदेश सरकार इस दिशा में सही रीति-नीति से काम करे, तो कोई कारण नहीं कि प्रदेश पर्यटन मानचित्र में अग्रणी राज्यों की श्रेणी में न पहुंच जाए।
	खेल के क्षेत्र में भी छग की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन 21 बरस बीत जाने के बावजूद छग का एक भी खिलाड़ी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर छग का नाम रौशन नहीं कर पाया है। यह अत्यंत दुःखद है, जिसपर छग के कर्णधारों को यथासंभव काम करने की आवश्यता है।
	इसके बावजूद, छग की अमीर धरती में रहनेवाले ज्यादातर लोग गरीब हैं। यहां गरीबी, कुपोषण, एनीमिया, बेरोजगारी, अशिक्षा, मलेरिया, अंधविश्वास, अपराध, नशाखोरी, मानव तस्करी, असंतुलित विकास, पलायन जैसी चुनौतियां गहन-गंभीर हैं।
	युवा हो चुके राज्य के लिए यह जरूरी है कि राज्य का चहुंमुखी विकास अब होना ही चाहिए। राज्य के अंतिम व्यक्ति की क्रय क्षमता, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक व आर्थिक स्थिति यदि बढ़ जाती है, तो यह संभव है, लेकिन कामयाबी अभी दूर की कौड़ी-सी लगती है।
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला  veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
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