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कितना सहज है झूठ

Irfan haaris 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक झूठ बोलने की हद 8011 0 Hindi :: हिंदी

कितना सहज है झूठ
कितनी आसानी से
बोल जाता हूं झूठ
भूल जाता हूं के 
यही झूठ हमें संकट में
डाल के हो जाता है दूर
रह जाती हैं अनगिनत
सच्चाईयां
हम जिनको भूल जाते हैं
पिता के पूछने पर
कहां से आ रहे हो
तपाक से देते हैं उत्तर
फिजूल सा
मां प्यार से दुलार से
देती है भोजन
पूछती भी नहीं
कोई बात
घर से बाहर की
वहां होता है क्या

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