Jyoti yadav 14 Oct 2023 कविताएँ समाजिक बहुत कुछ कहती है यह आवाज 8368 0 Hindi :: हिंदी
आवाजें ही तो मेरी पहचान है बसा इसमें मेरा स्वाभिमान है फिर क्यों ख़ामोश हो जाऊं आवाजें ही तो मेरी मुकाम है क्यों सुन कर भी अनसुनी कर दी जाती है मेरी आवाजें और हर बार हमें ही चुप कराया जाता है क्यों नहीं खुलते मेरे लिए न्याय के दरवाजे चिल्लाऊं कितनी भी फिर भी गुम हो जाती है मेरी आवाजे बातें कितनी भी हो । क्यों दबा दी जाती है हमारी आवाजें बेटी हूं तो क्या मेरे भी है अपनी आवाजें वो अलग बात है कोई नवाजे या ना नवाजे सुनो बहुत कुछ कहती है यह आवाजें ज्योति यादव के कलम से ✍️ कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर