Vipin Bansal 26 Mar 2024 कविताएँ धार्मिक 1508 0 Hindi :: हिंदी
कविता = ( सुख-दुख ) सुख-दुख सांसों के संग है ! यही ज़िंदगी के रंग हैं ! सुख ही सुख हो ज़िंदगी में ! सुख में कहाँ आनंद है ! दुखों की धूप में मीठा. ! सुख का अलौकिक आनंद है ! सुख-दुख से ही रंगी ज़िंदगी ! ज़िंदगी इसके बिना बदरंग है ! सुख-दुख सांसों के संग है ! यही ज़िंदगी के रंग हैं ! भूखे को अन्न, प्यासे को पानी ! ज़रूरत ने इनकी क़ीमत है जानी ! दुख है अनुभव, सुख है छलावा ! दुख में ही भेजें, श्याम को बुलावा ! दुख में ही खोजें, यहाँ कृष्ण को सुदामा ! मन में उठी जो मिलन की लगन है ! दुख की पीड़ा से निकली तरंग है ! सुख-दुख सांसों के संग है ! यही ज़िंदगी के रंग हैं ! भवसागर हो लांगना, दुखों से मत भागना ! दुख तुझे सताएगा, दुख तुझे रुलाएगा ! यही तुझे सिखाएगा, यही तुझे पढ़ाएगा ! सुखों से है सामना, सुख को है जानना ! दुख को गुरु मान ले ! दुख से तू ज्ञान ले ! दुख तेरे संग है ! दुख से नहीं जंग है ! सुख-दुख सांसों के संग है ! यही ज़िंदगी के रंग हैं ! भोग विलास की जिसने सुख है माना ! जीवन का उसने अर्थ न जाना ! इच्छाओं के चक्रव्यूह से ! मुश्किल उसका वापस आना ! दुख को तू बना सारथी ! रण में तू उतर महारथी ! दुख हो जिसका सारथी ! कैसे हारेगा वो जंग है ! सुख-दुख सांसों के संग है ! यही ज़िंदगी के रंग हैं ! विपिन बंसल