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मुसाफिर-आगे तू चल मुसाफिर

नीतू सिंह वसुंधरा 03 Oct 2023 कविताएँ समाजिक नीतू सिंह वसुंधरा 25385 0 Hindi :: हिंदी

मुसाफिर
आगे तू चल मुसाफिर,
आगे ही तेरी मंजिल है।
भूल जाओ उसको जो तेरी भूल है।
भूल था तू अब उठा है।
मंजिल पाने का जुनून तुझ में जगा हैं
माना, तेरा रास्ता कच्चा है
माना तू अभी बच्चा है,
पर मन का तो तू सच्चा है,
सच्चा अगर तेरा संघर्ष है
तो तेरी गागर न खाली होगी।
जो हंसते हैं तुझ पे,
कल उनके हाथ की ताली होगी।
रास्ता तेरा सरल न होगा।
अगर तू सच्चा है तो तेरे पास
हर मुश्किल का हाल होगा।
मिलेगी तेरे वजूद को एक नई कहानी
कही तू भटकना न भटक न जाना,
कहीं तू अटक न जाना।
तू जो होगा तो और ना कोई कल होगा।
तेरे पास दुनिया को बदलने का बाल होगा।
अगर तू सच्चा है तो तेरे पास हर संकट का हाल होगा।

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