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ख़ामोशी-तन्हाई कि चादर ओढ़े सो रही है

SACHIN KUMAR SONKER 24 Jan 2024 शायरी दुःखद सचिन कुमार सोनकर (ख़ामोशी) 5762 0 Hindi :: हिंदी

एक दिन मैं एक गली से गुज़रा ,
एक चौखट पर लिखा था।
थोड़ा तकल्लुफ़ कीजिएगा जनाब,
अपने कदमों की आहट को थोड़ा ख़ामोश रखिएगा।
अन्दर ख़ामोशी तन्हाई कि चादर ओढ़े सो रही है।
कहीं उसकी नींद में ख़लल ना पड़ जाए।

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