Sweta Kumari 23 Apr 2024 कहानियाँ समाजिक 62 0 Hindi :: हिंदी
घर मे हँसी-खुशी का माहौल था।आज आसी की शादी थी।आसी अपनी पीढ़ी मे सवसे बडी थी।उसके पापा चार भाई और चार बहन थे। दादा जी गुजर चुके थे।लेकिन दादी अभी जिन्दा थी।आसी मेहन्दी लगा रही थी कि अचानक उसकी माँ को पिताजी ने बुलाया।आसी अपनी छोटी बहन राशि को मां के पीछे भेजी।पिताजी काफी परेशान थे।उन्होंने बताया कि लड़के के पिता का फोन आया था ।उन्हे स्कूटर अभी चाहिए। जबतक स्कूटर नही मिलेगा वे लोग बारात नही लाएंगे।खुशी का माहौल अचानक गम मे बदल गया। सारे परिवार के लोग चिंतित और परेशान। अभी इतनी जल्दी स्कूटर कहाँ से आएगा।आसी के पिता के पास इतने पैसे नही थे कि वे तुरंत स्कूटर खरीद पाते। ऐसे भी उन्हे पैसा कमाना और बचाना नही आता था।खेती से जो पैसे मिलते वे खाना और शराब मे उड़ा देते थे।घर के सबसे बड़े लेकिन उतने ही गैर जिम्मेदार। उनकी पत्नी भी उन्ही के नक्शेकदम पर थी।रूपए आए नही कि खान-पान मे उड़ा दो।हर रोज मांस-मछली बनना चाहिए। बच्चो की कोई फिक्र नही।आसी और राशि शहर मे अपने चाचा -चाची के पास रहती थी।आसी देखने मे बहुत सुन्दर थी। जब वो अपनी छोटी बुआ के घर घूमने गई थी तब उसका परिचय अतीत से हुआ। अतीत बुआ के बेटे को पढ़ाने आता था।बुआ ने अतीत को धोखे मे रखा। उन्होंने बताया कि आसी घर की बड़ी पोती है। इसकी शादी मे लड़के को इतना मिलेगा जितना कोई सोच नही सका।किस्मत वाला होगा जिससे इसकी शादी होगी। लेकिन सच कुछ और था। भाईयो मे जायदाद का बँटवारा हो चुका था।आसी के पिता के पास जो जमीन थी वह भी गिरवी थी।अतीत की मां एक लालची महिला थी ,ये बात बुआ अच्छे से जानती थी।उनको बेटे की शादी मे बहुत दहेज चाहिए था। स्वभाव से भी वह अच्छी नही थी।पूरे मुहल्ले मे चर्चा थी कि जो लड़की इस घर की बहू बनेगी उसकी किस्मत खराब होगी। अतीत का चयन सरकारी नौकरी मे हुआ तो उसकी माँ के तो पर ही निकल आए। बुआ ने अपने भाईयो की खूब तारीफ की थी।रूपए -पैसे, जमीन और जायदाद की बातो ने अतीत की मां का लालच बढ़ा दिया था।दूसरी ओर बुआ ने अपने भाई से कहा कि परिवार बहुत अच्छा है।उन्हे आसी बहुत पसंद है।दहेज की तो कोई बात ही नही है। दोनो तरफ के लोगो को बहलाए मे रखकर बुआ ने शादी तय करवा दी सगाई शहर मे शानदार तरीके से चाचा ने करवाई। इससे अतीत की मां का लालच और बढ गया। उन्हे लगा कि उनके हाथ सोने की चिड़िया लग गई। किन्तु शादी गाँव से करने की जिद और तिलक का सामान देखकर अतीत की मां का दिल बैठ गया।न टी.वी,न फ्रिज,ना ही वाशिंग मशीन। और तो और एक आलमारी भी नही मिला था।उन्हे लगा था कि इतना पैसेवाला परिवार है तो मुँह खोलने की जरूरत क्या है,सबकुछ बिन मांगे ही मिल जाएगा।लेकिन हकीकत तो कुछ और था। इसलिए अब वो स्कूटर के बिना बारात भेजने के लिए तैयार नही थी । घर मे सभी चिंतित होकर समस्या का हल ढूँढने मे लगे थे।दूसरी ओर बुआ मन ही मन खुश हो रही थी।उन्हे याद है कि उनकी शादी मे लेन-देन मे स्कूटर देने की बात हुई थी।उस समय उनके मँझले भाई का एक्सीडेंट हुआ था जिसमे उनका पैर टूट गया था।इसलिए वो स्कूटर खरीदने नही जा सके।उन्होंने अपने बड़े भाई यानि आसी के पापा को स्कूटर खरीदने के लिए रूपए दिए।लेकिन वो स्कूटर खरीदने के बजाय रूपए लेकर गायब हो गए। ठीक बारात के दिन आकर बोले कि पैसे सारे खच॔ हो गए। जब मंझला भाई गुस्साने लगा तो आसी की मां उन्ही को बुरा -भला कहने लगी। शादी मे स्कूटर नही मिलने के कारण बुआ की सास ने उन्हे खूब सुनाया और यह सब तब तक चलता रहा, जबतक उनके भाई ने स्कूटर नही दिया।आज परिस्थित फिर वैसी ही थी।अब आसी को भी वो सब सहना पडेगा जो उन्होंने झेला।बुआ बहुत खुश थी कि उनका बदला पूरा हो गया।