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जो हो गए शहीद पर- जिन्दा उनका कर्म

संदीप कुमार सिंह 25 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगें। 14422 0 Hindi :: हिंदी

जो  हो  गए  शहीद  पर, जिन्दा  उनका  कर्म।
जन्म  त्याग  दूं  देश  पर, हो  जाये  खुद  धर्म।।

जो  हो  गए  शहीद  पर,भूले  कभी न  लोग।
उसे   बुलायें  आज  भी,करके  उनसे  योग।।

गले  लगाये  मौत  को,हस्ते  हस्ते  वीर।
जो हो गए  शहीद पर,रिपु  की  छाती  चीर।।

देश  धर्म  पर  मर  मिटे,जो  हो  गए  शहीद।
मर कर  भी हैं  वो  अमर,जनता  सभी मुरीद।।

फौजी  मेरी  आन  है,और  देश  की  जान।
जो  हो  गए  शहीद  पर, याद  रखे   ईमान।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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