Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

काल पिशाचिनी भाग 3

भूपेंद्र सिंह 25 Jan 2024 कहानियाँ अन्य डरावनी, भूतिया, हॉरर , दिल दहला देने वाली कहानी 6565 0 Hindi :: हिंदी

कहानी 
       काल पिशाचिनी भाग 3

मुकेश गाड़ी को फुल स्पीड में भगाए जा रहा था। पास बैठा अजीत सिंह अब भी मारे डर के थर थर कांप रहा था। काल पिशाचनी के द्वारा उसकी गर्दन पकड़ना और एक ही झटके में उसके मुंह को कच्चा चबा जाना। ये सब घटनाएं अजीत की आंखों के सामने बार बार आ रही थी। अजीत को तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा था की वो सिर्फ एक सपना था। अजीत अब भी उस बात को एक हकीकत मानते हुए देख रहा था।
मुकेश - " बस एक बार हम इस भूतिया रास्ते से निकल जाएं। फिर हम सेफ हैं।"
अजीत ने कोई जवाब नहीं दिया और अपने डर पर काबू करने की कोशिश करने लगा।
मुकेश ने गाड़ी की स्पीड और भी तेज कर दी। अचानक से गाड़ी के सामने अजीत आ गया। ये देखकर मुकेश का कलेजा ही बाहर निकल गया। जो अजीत उसकी बगल में बैठा है वो गाड़ी के सामने कैसे आ सकता है। मुकेश ने डरते हुए अपनी नजरें बगल में दौड़ाई तो उसकी बगल में काल पिशाचिनी बैठी थी जो लगातार मुकेश की और घूरे जा रही थी। मुकेश जोर से चीखना चाहता था लेकिन उसकी चीख उसके मुंह में ही दबकर रह गई थी। मुकेश ने डर के मारे अपनी पेंट में ही पेशाब कर दिया।
मुकेश के हाथ कांप रहे थे और फिर धीरे धीरे उसका पूरा शरीर ही थर थर कांपने लगा।
काल पिशाचिनी बहुत ही मोटी और डरावनी आवाज में- " क्या हुआ डर गए। जो डर गया वो मर गया।"
इतने में मुकेश की एक जोरदार चीख निकल गई। काल पिशाचिनी मुकेश के ऊपर झपट पड़ी और उसकी गर्दन में अपने दांत चूबो दिए। जीप यू टर्न से होती हुई सीधे ही नीचे खाई में गिर गई और फिर जंगल में धड़ाम से जा गिरी और एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ। जीप के आग लग गई थी।
कुछ ही देर में सब कुछ शांत हो गया। एक पेड़ की डाल पर बैठा एक उल्लू लगातार जमीन पर बेजान गिरे पड़े मुकेश कुमार की और घूरे जा रहा था जैसे वो उसका शिकार हो।
लगभग आधे घण्टे के बाद मुकेश को होश आया तो उसने धीरे धीरे अपनी आंखें खोली तो उसे सिर्फ काला आसमान नज़र आ रहा था। शायद अमावस्या की रात थी। काली और भयानक रात। 
मुकेश के शरीर में एक अजीब सा दर्द हो रहा था। वो पूरी तरह से खून से भीग चुका था। वो खुद को संभालते हुए वहीं जमीन पर बैठ गया और चारों और नजरें दौड़ाने लगा लेकिन उसकी गर्दन पूरी तरह से टूट चुकी थी। जैसे ही वो ईशर उधर देखने लगता तो उसकी एक जोरदार चीख निकल जाती और रात का जानलेवा और खौफनाक सन्नाटा अचानक से टूट जाता। मुकेश अब और हिल भी नहीं सकता था। उसके शरीर में जगह जगह पर कांच चुभा हुआ था। सब कुछ धुंधला सा नजर आ रहा था। काल पिशाचिनि कहीं पर भी नजर नहीं आ रही थी और ना ही अजीत।
उसकी जीप एक और आग में जलाकर राख हो चुकी थी। लोहे का कुछ अंश बचा था। चारों और धुआं फैला हुआ था लेकिन उस काली रात में धुआं नज़र नहीं आ रहा था।
मुकेश अब वापिस से धड़ाम से जमीन पर गिर गया और लंबी लंबी सांसे भरने लगा शायद ये लंबी सांसे ही उसकी जिंदगी की आखिरी सांसे थी। 
अचानक से मुकेश को लगा की जैसे कोई उसके करीब आ रहा है। पैरों की आवाजें उसे साफ सुनाई दे रही थी। मुकेश ने इधर उधर देखना चाहा लेकिन गर्दन टूट जाने के कारण वो अपनी गर्दन को बिल्कुल भी नहीं हिला पा रहा था। अगर वो कोशिश भी करता था तो उसे इतना दर्द होता की उसकी आंखों से आंसू निकल पड़ते। वो बस बेजान सा वहां पर पड़ा अपनी मौत का इंतजार कर रहा था। इतना दर्द झेलने से तो अच्छा है की मौत ही नसीब हो जाए।
मुकेश अब सिर्फ एक चीज चाहता था उसकी अब सिर्फ एक ही खबाइहस थी और वो थी की जल्दी से मौत आ जाए।
इतने में एक काली परछाई बिल्कुल उसके ऊपर आकर खड़ी हो गई जिसके मुंह से गंदा खून गिर रहा था और वो खून सीधा मुकेश के चेहरे पर से होते हुए उसके होठों तक जा रहा था लेकिन मुकेश चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था वो सिर्फ एक काम कर सकता था और वो था इंतजार सिर्फ इंतजार वो भी अपनी मौत का इंतजार।
मुकेश को सबकुछ धुंधला सा नजर आ रहा था लेकिन वो परछाई उसके पास जमीन पर बैठ गई और मुकेश की गर्दन के बिलकुल पास चली गई।
अब मुकेश को साफ नजर आ रहा था वो परछाई काल पिशाचिनी ही थी। बिल्कुल सफेद भूतिया आंखें, खून से लथपथ फटा हुआ काला डरावना चेहरा, बड़े बड़े दांत जिनमें मांस फंसा हुआ था और उसकी दुर्गंध इतनी गन्दी थी की अगर कोई वहां एक मिनिट से ज्यादा खड़ा रहे तो तो तुरंत ही मर जाए। बड़े बड़े खुले हुए काले डरावने घने बाल जो कि काल पिशाचिनी के चेहरे से होते हुए मुकेश की आंखों के ऊपर आ रहे थे। बड़े बड़े नाखून।
मुकेश दर्द से चीखना चाहता था, वो बस अब जल्दी से मरना चाहता था सिर्फ मरना चाहता था। इस असहनीय दर्द को वो अब और नहीं झेल सकता था।
इतने में काल पिशाचिनी ने उसकी गर्दन को कसकर पकड़ लिया और उसके नाखून मुकेश की गर्दन के आर पार हो गए थे। मुकेश चाहकर भी चिला नहीं पा रहा था। उसकी आंखे अब धीरे धीरे बंद हो रही थी और वो भी हमेशा के लिए।
इतने में काल पिशाचिनी ने एक ही झटके में मुकेश की गर्दन उसके शरीर से अलग कर दी और उसे नोच नोचकर खाने लगी।।
मुकेश की अंतिम इच्छा पूरी हो गई थी। पाठकों कहीं आप भी तो ऐसी इच्छा नहीं कर रहे।।।।

कुछ ही देर में मुकेश को अपने चेहरे पर कुछ ठंडा ठंडा सा महसूस हुआ और वो अचानक से चिला उठा " कौन कौन है? कहां है बारिश? बारिश हो रही है? मैं तो मर गया था। वो काल पिशाचिनी मुझे नोच नोचकर खा रही थी। अब मै वापिस जिंदा नहीं होना चाहता। मैं इस दर्द को और नहीं झेल सकता। मैं मरना चाहता हूं सिर्फ और सिर्फ मरना।।।
इतना कहकर मुकेश की आंखें आंसुओं से भर गई और पास में पानी की बोतल लेकर खड़ा अजीत सिंह मुकेश के चेहरे को एक टक देख रहा था मानो वो किसी किताब की तरह उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो।।।।।।।

To be continue.......।
✍️ भूपेंद्र सिंह रामगढ़िया।।।।।।।।।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

लड़का: शुक्र है भगवान का इस दिन का तो मे कब से इंतजार कर रहा था। लड़की : तो अब मे जाऊ? लड़का : नही बिल्कुल नही। लड़की : क्या तुम मुझस read more >>
Join Us: