संदीप कुमार सिंह 05 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 7463 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) उपजा मन अनुराग जो,किया याद सब नात। बातें करकर सुख मिला,हुआ कांत मय गात।। समय सुहाना अब हुआ, उपजा मन अनुराग। आती सुखकर अब निद्रा,सुनता हूं जब फाग।। उपजा मन अनुराग से,सबसे बढ़ा लगाव। होली की भी है खुशी,भागा अशुभ दुराव।। मस्त मास है जो अभी,जीवन में है राग। तनमन अति रंगीन है,अपजा मन अनुराग।। फागुन सुखद बयार में,पनप रहा है प्यार। उपजा मन अनुराग से,पाता हूं अधिकार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....