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जीवन तुम्हीं हो तुम्हारा

Shveta kaithwas 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 36147 0 Hindi :: हिंदी

है तजुर्बा हमें भी तुम्हें आकने का
तुमने हमे फूल सा कैसे समझ लिया।
हमने रात चांद नही देखा  कोई सपना नही देखा।
दिन के उजालों से दूर रही हूं मैं ,मै रात अंधेरा नही देखा।।
कांटो की राहें देखी मैंने ,पर जीवन सवेरा नही देखा ।।
देखी सर्द रातें मैंने ओस भरी घास नही देखी।।
पानी से तन धोया है मैने ,पानी की बूंद नही देखी।
नदियों को बहती धारा नही देखी , मैंने सुबह शाम नही देखी।
मैने जहां में ऐसा मकाम नहीं देखा ,जब देखा तो खुद सा इंसान नही देखा ।
मैने देखी जीत आंखों में ,खुद में
मैने खुद सा इंसान नही देखा ।।
मैं ही हूं जो जीवन को जीत दिला सकती हूं।
हजारों रास्ते हैं असफलता के पर लाखों रास्ते हैं मंजिल तक पहुंच जाने के।।
मैं ही हूं वो दरिया जिसमे आग हैं बारिश को बुझाने की

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