DINESH KUMAR KEER 09 May 2023 कहानियाँ अन्य 5207 0 Hindi :: हिंदी
अनीश निकेतन (एक प्यारा सा घर) हम दो भाई बचे थे एक ही मकान में रहते हैं, मैं पहली मंजिल पर और भैया निचली मंजिल पर। पता नही हम दोनों भाई कब एक दूसरे से दूर होते गए, एक ही मकान में रहकर भी ज्यादा बातें न करना, विवाद वाली बातों को तूल देना, यही सब चलता था। भैया ऑफिस के लिए जल्दी निकलते और घर भी जल्दी आते थे, जबकि मैं देर से निकलता और देर से लौटता था, इसलिए मेरी गाड़ी हमेशा उनकी गाड़ी के पीछे खड़ी होती थी। हर रोज सुबह गाड़ी हटाने के लिए उनका आवाज देना मुझे हमेशा अखरता, मुझे लगता कि मेरी नींद खराब हो रही है। कभी रात के वक्त उनका ये बोलना नागवार गुजरता कि बच्चों को फर्श पर कूदने से मना करो, नींद में खलल पड़ता है। ऐसे ही गुजरते दिनों के बीच एक बार मैं बालकनी में बैठा था, कि मुझे नीचे से मकान का गेट खुलने की आवाज सुनाई दी, झांककर देखा, तो पाया कि नीचे कॉलोनी के युवाओं की टोली थी जो किसी त्यौहार का चंदा मांगने आई थी। नीचे भैया से चंदा लेकर वो लोग पहली मंजिल पर आने के लिए सीढ़ियाँ चढ़ने लगे, तो भैया बोले," अरे उपर मत जाओ, उपर नीचे एक ही घर है"। युवाओं की टोली तो चली गई पर मेरे दिमाग में भैया कि बात गूँजने लगी, "उपर नीचे एक ही घर है"। मैं शर्मिंदा महसूस करने लगा कि भैया में इतना बड़प्पन हैं, और मैं उनसे बैर रखता हूँ? बात सौ दो सौ रूपयों के चंदे की नहीं बल्कि सोच की थी, और भैया अच्छी सोच में मुझसे कहीं आगे थे। अगले दिन से मैने सुबह जल्दी उठकर गाड़ी बाहर करना शुरू कर दिया, बच्चों को हिदायत दी कि रात जल्दी सोया करें ताकि घर के बड़े चैन से सो सकें, क्योंकि "हमारा घर एक है"। सदैव प्रसन्न रहिये। जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।