महेश्वर उनियाल उत्तराखंडी 08 Sep 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #deshprem #van #jangle #hindikavita #poem #trek #visit #forest 10196 0 Hindi :: हिंदी
वन गमन हर रोज काम करने से नीरसता जब आने लगी सैर करु कहीं दुनियां की उमंग सी एक छाने लगी। कहां होगी एक ऐसी दुनियां जहां मन को शांती मिल जाए जाउंगा मै उस दुनिया में जहां दिल में हरियाली खिल जाये। इसके लिए मैने अब जान लिया प्रकृति को निशाना मान लिया वन को जाना है मैने मन में बखूबी यह ठान लिया। घर से निकलने पर मैने जब प्रकृति पर पैर धरा पहाड़ों पर सफेद वर्फ ढकी और वन में था सब हरा-भरा। चिड़ियों की चहक से फूलों की महक से आवाजें जो आने लगी कोयल प्यारी आवाज में गीत मधुर गाने लगी। कहीं सन्नाटा पसरा हुआ कहीं कौतुहल झलक रहा प्रकृति की इस अदा से मेरा मन था मचल रहा। शेर, हाथी, भालू जैसे जानवर भी थे घूम रहे तोता-मैना जैसे पक्षी, थे एक दूजे को चूम रहे। सुनहरी किरणें सूरज की जब धरती पर थी आ रही मोतियों सी लग रही फिर बसुंधरा की सुन्दरता में थी समा रही। खुशियों का अम्बर मेरे दिल में था फूट रहा प्रकृति के इस यौवन को था, मै लूट रहा। संसार मेरे हाथों से था अब छूट रहा खुशियों का पहाड़ मेरे सर पर था, जब टूट रहा। हरे-भरे वृक्षों से जब सनसनी हवा चल आयी मन्द-मन्द गति से उसने मिठास सी भर लायी । वन गमन का यह दृष्य मेरे नयनों में समा गया अब मुझको यह अहसास हुआ कि, मै जन्नत को पा गया। रचनाकार- महेश्वर उनियाल उत्तराखण्डी। 7579155644