Samar Singh 18 Sep 2023 कविताएँ समाजिक ये गर्मी का मौसम और उस पर लू, पूछिये मत. 9717 0 Hindi :: हिंदी
इस लू भरी दुपहरी में, महसूस होती है यादों की तपन । लाती है गर्म हवाएं अपने साथ, खामोशी की असहनीय जलन।। आँखों में धूल भरे, बवंडर का घेरा सघन, बेचैन साँसे समझे कोई मेरा नाम। चिलचिलाती धूप में, उड़ रहे सपने चिलबिल के रूप में, धड़कनें बढ़ती जा रही है, ठंडी होगी कैसे दिल की अगन। पतझड़ सा दिखता है सबेरा, छुप गयी नस- नस में खामोश अँधेरा। उमस बढ़ गयी, दिवानगी चढ़ गयी। आयेगा कब तक खुशबू का झोंका, झूमेगा सारा ये मधुवन, इस लू भरी दुपहरी में, महसूस होती है यादों की तपन।। रचनाकार- समर सिंह " समीर G"