गांेद का औषधीय उपयोगः
छग में बहुतायत में उत्पादित होनेवाले गांेद का अंतरराष्ट्रीय बाजार में दक्षिण अफ्रीका व नाइजीरिया से कड़ा मुकाबला चल रहा है। छग के गांेद का थोकमूल्य 50 से 60 रुपया प्रतिकिलो है, तो दक्षिण अफ्रीका व नाइजीरिया का गोंद 40 से 50 रुपया प्रतिकिलो।
विदित हो कि छग में गोंद की तीन प्रजातियां हैं-बबूल, कुल्लू और धावड़ा गोंद। इसमें बबूल का गोंद खाने में भी उपयोग किया जाता है और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
आयुर्वेदिक अधिकारियों के मुताबिक, सुबह-सुबह बबूल के गोंद के एक या दो लड्डू खाकर दूध पीने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। गोंद या इससे बनी चीजें खाने से ह्दयरोग का खतरा कम हो जाता है। मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
गांेद का लड्डू गर्भवती और स्तनपान करानेवाली महिलाओं (प्रसूताओं) को पारंपरिक रूप से खिलाया जाता है। इससे उनकी रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है। वहीं कुल्लू व धावड़ा गोंद का औद्योगिक उपयोग किया जाता है।
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