Swami Ganganiya 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक Karmphal Hindi lekh 37252 0 Hindi :: हिंदी
चाहे वर्तमान युग हो चाहे बीत गया कल हो या आने वाला पल हो। हर कर्मफल अपने आप से अलग हो ये जरूरी नही है। कहा कब क्या सिमिलाॅरिटि होती है । समानता होती है। ये किसी को नही पता होता है।क्योकि रियल्टी क्या है ये कोई नही जानता और वास्तविकता हमे तब समझ आती है। जब हम परिणाम से आवगत होते है। तब हम डिसाइड करते है कि क्या सही क्या गलत है और जहा पहले ही डिसाइड हो चुका हो कि क्या गलत है और क्या सही है। उसका क्या? लेकिन गलत-सही क्या है। ये हम नही जानते लेकिन उसका निर्धारण हम सामाजिक दृष्टिकोण से करते है और ये वास्तविकता भी है। हमारी नजरों मे जो भगवान है। क्या वो वास्तव मे भगवान है? या फिर जो दुनिया को मान्य हो। वो भगवान है या फिर जो हमारी नजरो मे भगवान है वो भगवान है या जो किसी को भी मान्य न हो वो भगवान है? क्योकि भगवान तो हर स्थिति मे हो सकता है। चाहे वह मान्य हो या अमान्य हो।क्योकि हमारे मानने या ना मानने से वास्तविकता नही बदलती है। कर्मफल का निर्धारण भगवान करता है या समाज करता है या वह खुद क्रियावन्तित है । जबकि दुनिया में भगवान का तो कोई स्पष्टिकरण नही है लेकिन भगवान को मानते सब है। इस दुनिया में फिर कर्मफल का निर्धारण कौन और किस प्रकार करेगे। ये कहना मुश्किल है। यहा किस वस्तु का सही स्पष्टीकरण है या नही। ये समझना मुश्किल है। हम हमेशा खुद के ही स्पष्टीकरण को सही मानते है । चाहे वह गलत हो या फिर वो सही । वो ही हमे मान्य होता है।