DINESH KUMAR KEER 08 May 2023 कहानियाँ समाजिक 4702 0 Hindi :: हिंदी
दगाबाज बाजार में एक चिड़ीमार तीतर बेच रहा था... उसके पास एक बडी जालीदार टोकरी में बहुत सारे तीतर थे..! और एक छोटी जालीदार टोकरी में सिर्फ एक ही तीतर था..! एक ग्राहक ने पूछा एक तीतर कितने का है..? "40 रूपये का..!" ग्राहक ने छोटी टोकरी के तीतर की कीमत पूछी। तो वह बोला, "मैं इसे बेचना ही नहीं चाहता..!" "लेकिन आप जिद करोगे, तो इसकी कीमत 500 रूपये होगी..!" ग्राहक ने आश्चर्य से पूछा, "इसकी कीमत इतनी ज़्यादा क्यों है..?" "दरअसल यह मेरा अपना पालतू तीतर है और यह दूसरे तीतरों को जाल में फंसाने का काम करता है..!" "जब ये चीख पुकार कर दूसरे तीतरों को बुलाता है और दूसरे तीतर बिना सोचे समझे ही एक जगह जमा हो जाते हैं फिर मैं आसानी से सभी का शिकार कर लेता हूँ..!" बाद में, मैं इस तीतर को उसकी मनपसंद की 'खुराक" दे देता हूँ जिससे ये खुश हो जाता है..! "बस इसीलिए इसकी कीमत भी ज्यादा है..!" उस समझदार आदमी ने तीतर वाले को 500 रूपये देकर उस तीतर की सरे आम बाजार में गर्दन मरोड़ दी..! किसी ने पूछा, "अरे, ज़नाब आपने ऐसा क्यों किया..? उसका जवाब था, "ऐसे दगाबाज को जिन्दा रहने का कोई हक़ नहीं है जो अपने मुनाफे के लिए अपने ही समाज को फंसाने का काम करे और अपने लोगो को धोखा दे..!" हमारी सामाजिक व्यवस्था में भी 500 रू की क़ीमत वाले बहुत से तीतर हैं..! 'जिन्हें सेक्युलर, लिबरल, वामपंथी, कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष, विपक्षी, जातिवादी, परिवारवादी आदि दलों के नाम से जानते हैं. जो अपनी वर्तमान राजनीति के चक्कर में भारत को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं।