Ranjana sharma 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद Google 86571 0 Hindi :: हिंदी
अजीब सी कश्मकश में फंसी हूं पास होकर भी कितनी दूर हूं मेरे दर्द का एहसास भी ना है तुझे फिर भी आस तुझी से लगा बैठी हूं आंखों में है पानी,दिल में है बेचैनी फिर भी खुशी तुम्हीं से मांग रही हूं सब कुछ जानकार भी अनजान बनकर तेरे दिल में अपनी जगह बना रही हूं। धन्यवाद