Vikas Yadav 'UTSAH' 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य विकास यादव, उत्साह, बचपन उदास हो, विकास यादव की कविता, बचपन पर कविता, मेरा बचपन, बचपन, बचपन की याद, विकास यादव हिंदी कविता, हिंदी कविता, 10045 1 5 Hindi :: हिंदी
उम्र तेरा आठ का, चेहरा लग रहा साठ का 2.. आंखों की वो चमक कहां? और होठों की मुस्कान गई । पापा की घुड़सवारी, और गांव की वो यारी। बचपन! उदास हो? क्या जून की लूहिया रुक गई, या पेपर की नईया डूब गई२.. अब लखनी भी बैठी रोती, क्या आम की डलिया टूट गई? बचपन! उदास हो? क्या मजबूरी कूद पड़ी, जो दिये कि तराजू टूट पड़ी२.. अब खलिहान भी बैठा बाह खोलें, तरस रहा सुनने को होले। बचपन! उदास हो? काव्य - विकास यादव "उत्साह" (हैदरगंज, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश)
1 year ago