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पतझड़ में गोरा बादल

Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य पतझड़ में गोरा बादल 35961 1 5 Hindi :: हिंदी

उड़ चले खग आसमानों में 
पंखड़ियों का जो बांध छुड़ाया 
उड़ते खगो ने यह राग सुनाया,
पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया /
इन काली - काली रातों ने 
पतझड़ की सुगंध को रूलाया,
वशूधा के पनप्ते पोधों ने 
कलरव का नाम सुनाया,
पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया /
मलयजो की फेली बातों को 
बरखा से नहलाया,
दिनकर ने घन घोर रात्रि को बुझाकर 
इस सुरभि सुबह का जन्म बनाया,
पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया /
आसमानों की रात्रियों ने तारों को चमकाया 
पेड़ों पर रहकर पत्तों ने 
बीति सुबहो  का नाम लिखाया,
पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया /
वशूधा में किरणों का आगमन हुआ 
निकलती सुबह का पत्तों से सामना हुआ 
धूल मिट्टीयो में गिरकर उनका स्वागत हुआ
पेड़ों से गिरकर पत्तों ने 
डालियों का तन - मन दु:खलाया,
पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया /

Comments & Reviews

Pratiksha Maroti Awale
Pratiksha Maroti Awale So nice line

1 year ago

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