Ranjana sharma 17 Aug 2023 कविताएँ दुःखद मत जा रे परदेसी#गूगल# 4983 0 Hindi :: हिंदी
मत जा रेे परदेशी तेरे लिए यहां कोई रोता है जा रहा है तू और जां मेरी निकल जा रही है ऐसा क्यों होता है लाली पड़ गईं आंखियां मेरी तेरी जुदाई के अश्रुधारा से अब तू ही बता हम कैसे जिएगें तेरे दूर जाने से इतना भी ना सोचा तूने क्या दर्द दिए जा रहा है जो था मेरे पास सबकुछ अपने साथ लिए जा रहा है बस थोड़ी सी मोहब्बत ही तो मांगी थी हमने क्या मांग लिया था ज्यादा जो हमसे यूं मुंह फेर के चले जा रहा है कुछ नहीं तो झूठा दिलासा ही दे देता मैं तेरा हूं और तेरा ही रहूंगा छोड़ कर तुझे कब जा रहा हूं ऐसी भी क्या गुस्ताखी हो गई हमसे कि सजा हमें खुद से दूर देकर जा रहे हो हमसे गर मन भर गया था तो कह देते एकबार हम खुद तुम्हारे रास्ते में फूल बिछा देते ओ मेरे यार धन्यवाद