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खूबसूरत एहसास

Rani Devi 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक सांची धूप 24832 0 Hindi :: हिंदी

                  खूबसूरत एहसास                      माँ, रब ने तुझे गढ़ने से पूर्व
अनगिनत वेदों को पढ़ा होगा
अनमोल बेशकीमती भावनाओं को
न जाने किस दुनिया से लाकर जड़ा होगा  ! 

रब जैसा सुंदर रूप है माँ का
दुनिया में सबसे खूबसूरत स्वरूप है माँ का
नवरात्रों में दुर्गा है, शिवरात्रि में है पार्वती
कृष्ण की यशोदा बन लाड से है पालती  ! 

भूखी रह अपना निबाला खिलाती है
बच्चों की खातिर दुनिया से लड़ जाती है
दूर रहकर भी बच्चे माँ के पास हैं
माँ शब्द ही यारो खूबसूरत एहसास है   ! 

बिन बोले बच्चों का दर्द जान है लेती
उनके रोने से पहले खुद छम- छम है रोती
ममता के आँचल में  बच्चों को है पालती 
बिन स्वार्थ  के बदले में कुछ न माँगती  ! 

माँ न होती तो सोचो दुनिया कैसी होती
सूखे में सुलाकर जो खुद गीले में है सोती
माँ के बिना दुनिया की बदसूरत तस्वीर होती
बिन माँ के अनाथ बच्चों की कैसी तकदीर होती  ! 

जो बच्चों की खातिर दुनिया से लड़ जाती है
बुढापे में वो बच्चों को क्यों नहीं भाती है
माँ तो सोना, चाँदी, हीरे, मोती नहीं चाहती है
वो दो पल बच्चों से बतियाना ही तो चाहती है  ! 

माँ का कर्ज आजीवन क्या कोई चुका पाता है
माँ के कारण ही जीवन भर बचपन याद आता है
माँ तो निर्जीव तन में एक जीवित श्वास है
माँ शब्द ही यारो एक खूबसूरत एहसास है  ! 

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