Manju Bala 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक जिन्दगी ,हिम्मत ,जोश ,आशा विश्वास प्यार ,धोखा ,मेहनत , इच्छओं मोहब्बत ,बच्चों ,वक्त पैसों के पीछे ,रिश्ते ,रिश्तों की मिठास ,मानव दास ,चंद्रग्रहण,रिश्तों की मिठास से बदल कर जिन्दगी करवाहट 52290 0 Hindi :: हिंदी
बहुत अच्छा नहीं होता इच्छओं का बढ़ा होना जब ये बढ़ती हैं तो विनाशा का कारण बनती हैं | आज का मानव दास है अपनी बढ़ती इच्छओं का दानव नाल की तरह बढ़ती ही जा रही हैं इच्छाएँ | पहले के लोग भी तो जीते थे खुशियों से भरी जिन्दगी क्यों अब हर पल तनावों से भर गई हैं यह तेरी जिन्दगी जो तुझे दी हैं तेरे पूर्वजों ने उसे लौटना हैं तुझे तेरे बच्चों को क्यों हर चीज हर खुशी तुझे ही मिले ये तेरी आरजू हो गई क्यों भाग रहा है हर वक्त पैसों के पीछे ओ !इन्सान क्या से क्या यह तेरी जिन्दगी हो गई बहुत अच्छा नहीं होता इच्छओं का बढ़ा होना जब ये बढ़ती हैं तो विनाशा का कारण बनती हैं | क्यों भूला दिए हैं रिश्ते तूने अतृप्त इच्छाओं की क्या यह दास्ताँ हो गई क्यों आज ये तेरी बेजान जिन्दगी हर तरफ धुआँ- धुआँ हो गई क्यों रिश्तों पर चंद्रग्रहण लगा लिया हैं तूने क्यों ऐसी दौड़ में नाम लिखा लिया हैं तूने आपा - धापी से भरी आज क्यों यह तेरी जिन्दगी हो गई क्यों रिश्तों की मिठास से बदल कर जिन्दगी करवाहट से भरी हो गई बहुत अच्छा नहीं होता इच्छओं का बढ़ा होना जब ये बढ़ती हैं तो विनाशा का कारण बनती हैं |
I have done M.A in three subjects these are Hindi ,History ,Political science. I have also done M.Ed...