कुमार किशन कीर्ति 22 May 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत सुहानी रात,तन्हाई, कसक,प्रियतमा 5276 0 Hindi :: हिंदी
सुहानी रात गुजर गई, बातें कई बीत गई। इस दिल में वही कसक पुरानी है, तन्हाई में गुजर रही जिंदगानी है। सोचा नहीं था,तुमसे दूर रहूंगा। इस रात को बिन तुम्हारे तन्हा गुजरूँगा। ओ प्रियतमा... अब तो आ जाओ तुम। तुम्हारी इंतजार में कितने युग गुजर गए। कितने सावन बीत गए और, ना जाने कितनी ही सुहानी रातें गुजर गई। यूँ ही तन्हाई में कभी-कभी सोचता हूँ, काश!तुमसे ना मिलता। तुमसे दूर रहकर फिर भी मैं खुश रहता। अब तो यह आलम है, तन्हा में भी तन्हाई नहीं गुजरती है। यह सुहानी रातें, मानो मुझ पर हँसती है। सुहानी रात गुजर गई, बातें कई बीत गई। :कुमार किशन कीर्ति