Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

माँ-जीवन का शुरू सफर अब है

Raj Ashok 13 Nov 2023 कविताएँ समाजिक माँ 15647 0 Hindi :: हिंदी

जीवन का .... शुरू ,सफर
अब है ......
पहला कदम, पहली ड़गर ....
अब है
सिख रहे है। चलाना ,योही ...
गिरते संभलते ।
नजरों के आगे ,जब अपनी  माँ रहती है।
चले। आवों ! तुम बैटा 
बस इतना हमेशा इतना कहती है। 
और, हम भुल जाते है।
हर ,डर   लड़खडाते कदमों का
दिल मे खोफ, नहीं रहता जरा भी  । 
चुनौतियों , को हम देते  फिर अलग चुनौती
बाज,के पंजो ,से हम शिकार छीन लाते। 
हमेशा माँ के आशीषो से, 
दीपक के जैसे ,
जीवन जग-मंग रहता । 
प्यार का  ऐसा ये एक नाता । 
कच्चे घागों से ये रिस्ता रभ बनाता  ।
पर एक निभाता, और एक भुल जाता । 
फिर बुलावा, कभी नहीं माँ का  आता।
अर्थ, क्या है ?
अब जीवन का, जब जीवन ही नीरस हो जाता। 
एक उमीद मे, 
कोई सो साल  जी जाता। 
माँ, के बुलाऐ बैटा क्यो नहीं आता।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: