संदीप कुमार सिंह 19 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6151 0 Hindi :: हिंदी
बना मुसीबत कोहरा, हाथों में है चाय। मन में फिर भी है खुशी,दूर सभी है हाय।। बना मुसीबत कोहरा, प्राण बना है आग। रूक गया सब काम है,कायम है अनुराग।। बना मुसीबत कोहरा, जीवन है संग्राम। लड़िए सदा मिजाज से,सबका साथी राम।। बना मुसीबत कोहरा,लाया है कुछ सीख। बाधा से है जूझना,बने खास तारीख।। बना मुसीबत कोहरा,खुद का रख नित ध्यान। लगे सुहाना सब समय, रहे माथ में ज्ञान।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....