Raj Ashok 14 Jun 2023 कविताएँ देश-प्रेम सलामे वतन 7808 0 Hindi :: हिंदी
सरहदे ,बंदिश बनी है। आज,तब - जब निभानी थी। मुझे, एक रस्म , संसार की, जो जोड़ देगी ,किसी दिल से मुझे अभी ,कुछ है । जिन्दा बची, ,ख्वाईशे मेरी जो मेरे कदमों की थकान पे, मुझे कभी ,शर्मिन्दा नहीं होने देती । तलाश है । तो चलना है । ढूँढना । फिर ,उस से मिलना है। हाँ, मे हुँ । बेशक एक सरहद का सिपाही , अपनी, प्रेम कहानी के किस्से । खुद, बनाता। खूद ,सुनाता हुँ। मुहोबत , जो मेरी मिट्टी ने मुझे सिखाई उसी के दम से। अपना फर्ज निभाता हुँ । देखके, मुझे , अपनी वर्दी ,मे दीवानगी ,लोगों की निगाहों से,बोलती है । मेरे संग - संग, मेरे वतन , को भी ,दिल से सलाम ठोकती है। जय हिन्द ......जय हिन्द