Samar Singh 16 Jun 2023 गीत दुःखद उसके इश्क के सितम का ऐसा जहर चढ़ा है कि घुट- घुट के जीना पड़ रहा है। 7313 0 Hindi :: हिंदी
घुट- घुट के जी रहा हूँ, घूँट- घूँट पी रहा हूँ। ये सितम का कहर, तेरे इश्क का जहर। लुट- लुट के जी रहा हूँ, घूँट - घूँट पी रहा हूँ।। टुकड़े- टुकड़े हो गए दिल के, तुमसे बिछड़ के या मिल के। बीते ना ये आठों पहर, ये सितम का कहर, तेरे इश्क का जहर। टूट- टूट के जी रहा हूँ, घूँट- घूँट पी रहा हूँ।। रहम कर दे ऐ! खुदा, दो दिल मिलके न हो जुदा। रहे हरपल जीवन में ये सहर, मिटे ये सितम का कहर, तेरे इश्क का जहर, फूट- फूट कर रो रहा हूँ, घूँट- घूँट पी रहा हूँ। घुट - घुट के जी रहा हूँ।। रचनाकार- समर सिंह " समीर G "