संदीप कुमार सिंह 07 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4984 0 Hindi :: हिंदी
चले स्कूल शिशु सभी,पानी मय है राह। बैग स्कूल का लिए,चंचल सबका चाह।। सब कागज के नाव को,लिए हुए हैं हाथ। तैराने में हैं लगे, सभी दोस्तें साथ।। देख दृश्य यह याद हो,अपना बचपन यार। खुशियां मय संसार था, सदा बेफिक्र तार।। बचपन का दिन मस्त था,चिन्ता रहती दूर। मातु पिता के प्यार से,हुए नहीं मजबूर।। बच्चे सच्चे हैं सभी,मैं भरपुर दूं प्यार। कल के भव्य भविष्य ये,करे देश गुलजार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....