Ravina pareek 27 Sep 2023 शायरी समाजिक खामियां बहुत है मुझ में। 11044 0 Hindi :: हिंदी
माना खामियां बहुत है मुझ में, माना खामियां बहुत है मुझ में। पर सिर्फ खामियां ही नहीं, खूबियां भी बहुत है मुझ में। पर बस किसी को पता ही नहीं।
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