Uday singh kushwah 05 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत गूगल याहू बिंग 8750 0 Hindi :: हिंदी
प्रकृति की छटा निराली -अनूठी चित्रकारी ऊंचे पर्वतों के क्षितिज नभ से बतियाते प्रकृति की अप्रीतम-अनुपम छटा बिखराते हृदय में हरदम अनुकरणीय बसंत खिलाते पर्वतों से अठखेलियां खेलतें निर्झर बहाते ऊंचे-ऊंचे दरख्तों पर पंक्षी मधुर गीत गाते जीवन की रिदम पर स्नेहिल गीत गुनगुनाते हरी भरी वसुंधरा को धानी चुनर उडा़ते वादियों में बकरियों की घंटी का स्वर बहाते चांद तारों की बारात में तारे मंदमंद मुस्कुराते चांद -चांदनी का सुमधुर अवगुंठन उठाते हृदय में अनुपम - अनुकरणीय भाव बहाते पीपल के पत्ते देख सुखद मिलन मुस्कुराते हरश्रृंगार के फूल राहों में स्वयं ही बिखर जाते पल पल बहती पवन में सुगंध मिलाते नभ में इंद्रधनुषीय रंग अनुपम इंद्रधनुष बनाते पंक्षी नभ में अनूठी चित्रकारी कर मन बहलाते स्वरचित एवं मौलिक सृजन उदय सिंह कुशवाहा लश्कर, ग्वालियर, मध्यप्रदेश