DINESH KUMAR KEER 10 Feb 2024 शायरी समाजिक 6423 0 Hindi :: हिंदी
सावन आपके प्रेम का बरसा हैं गाँव में इक सादा शख़्स प्रेम से लबालब हुआ हैं गाँव में बोऐ थे बीज मैंने वफ़ादारी के बीते बरसों में कल वही फसल लहलहाती हुई दिखी गाँव में सारा क़ाफ़िला मुझ में था और मैं क़ाफ़िले में "दिनेश" सारे बच्चे - बूढ़े - जवान एक ही रंग में दिखे गाँव में -दिनेश कुमार कीर