Trishika Srivastava 19 May 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत Writtenbytrishikadhara #iamtrishikadhara #trishikasdhara 7171 1 5 Other :: Other
बता ना सके, जता ना सके हृदय की पीर मिटा ना सके भीतर-भीतर सिसक रही नयनो से नीर बहा ना सके युगों-युगों से प्रेम को तरसे प्रेम की तृषा बुझा ना सके विरह की धूप में जलती रही छांव मिलन की पा ना सके व्याकुल-व्याकुल रहे "धरा" अम्बर के समीप जा ना सके - त्रिशिका श्रीवास्तव ‘धरा’
10 months ago