Poonam Mishra 30 May 2023 आलेख समाजिक आलोचना एवं प्रशंसा को सामान्य रूप में लें 20748 0 Hindi :: हिंदी
कभी-कभी इंसान लोगों द्वारा किए गए अपने आलोचना से बहुत घबरा जाता है । उसे लगने लगता है कि मैं ही सबसे गलत व्यक्ति हूं ? परंतु हमें किसी की आलोचना से घबराना नहीं चाहिए । बल्कि उसकी आलोचना की कहै गए शब्दों को ध्यान से सुन कर यदि हो सके तो अपने अंदर उन कमियों को दूर करने का प्रयास। करना चाहिए । और वही जब हमारी तारीफ की जाती है तो हम बहुत प्रसन्न हो जाते हैं । भले ही व्यक्ति हमारी झूठी तारीफ क्यों नहीं कर रहा हो। मेरा कहने का तात्पर्य है कि कभी भी किसी व्यक्ति को अपनी प्रशंसा से बहुत पिघलना नहीं चाहिए । और लोगों द्वारा किए गए अपने आलोचना से घबराना नहीं चाहिए। क्योंकि मनुष्य कितना भी गोरा क्यों नहीं होता है । परंतु आपने देखा होगा कि जब वह अपनी परछाई को देखता है तो उसकी परछाई सदैव काली ही होती है। कभी-कभी व्यक्ति को लगता है कि मैं सबसे शक्तिशाली ,सबसे सर्वश्रेष्ठ, और सबसे प्रतिष्ठित, व्यक्ति हूं । यह माना कि सिर्फ मैं ही सबसे उच्च हूं ,कहीं न कहीं यह आपके अहंकार को दर्शाता है । कहा गया है कि अहंकार से जिस व्यक्ति का मन भरा रहता है । वह हजारों लाखों लोगों की भीड़ में भी अपने आप को अकेला महसूस करता है। इसीलिए इस जीवन में निस्वार्थ भाव से कर्म करिए । लोगों की जहां तक हो सके सहायता करिए आपसे जो बन पड़ता है वह करिए। कहा गया है कि इस धरा, का इस धरा, पर सब धरा र,ह जाएगा,,,,,,