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अतीत की यादें-उदासी चेहरे पर मायूसी में भी मुस्कुराना

AJAY ANAND 14 Aug 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग फासलों, मुस्कुराते 8298 0 Hindi :: हिंदी

मैंने तो वही खोया, जो मेरे पास था ही नहीं।
आस लगाए बैठे थे हम, शायद मिल जाए हमें कहीं।
उदासी चेहरे पर, मायूसी में भी मुस्कुराना।
फितरत हो गई थी हमारी।
मैंने तो वही खोया, जो मेरे पास था नहीं..!!

बीते फासलों ने हमें बताया।
उदास क्यों होते हो जहां पनाह ।
वक्त तेरा भी बदलेगा, पहले तूं खुद को बदल।
औरों को छोड़ो, पहले खुद अपने पैरों पर सम्भल।
दूसरी दुनिया में नहीं है कुछ , मिलेगा सब यहीं।
मैंने तो वही खोया, जो मेरे पास था ही नहीं..!!

अजय आनंद

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