हे आर्य पुत्र मर्यादा मय
मै पत्नी धर्म निभाउगी!!
हर्षित होकर उल्लास से मै
ये अग्नि पार कर जाउगी!!
पर साबित इस से क्या होगा
क्या तुम मुझको समझाओगे !!
जो संशय मेरे मन मे है
उनका उत्तर दे पाओगे ?
तुम भी तो हमसे दूर रहे
ना जाने कहा कहा भटके!!
मै विवश तुम्हारी यादों में
रोती थी रात मे उठ उठ के!!
गर यही तुम्हारी इच्छा है
मै अग्नि परिक्षा से गुजरु!!
हे मर्यादा के प्रतिमुर्ती
ये शर्त मेरी स्वीकार करो!!
मै बाद मे इससे गुजरुगी
पहले तुम इसको पार करो…
उदय प्रताप
सिक्किम,गंगटोक