Rambriksh Bahadurpuri 03 Jan 2024 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Ambedkarnagar poetry#naye saal per kavita 7094 0 Hindi :: हिंदी
आओ साल का करें विदाई जो आज पुराना, नया कभी था कदम मिला कर ,चला वही था फिर कैसे ना,गम उसका हो आंखे भी नम ना सबका हो छोड़ चला है आज हमें वह सुख भी देकर दुख भी देकर आज हुआ तन-मन आघत है किसे सुनाऊं किसे बताऊं तेरा जाना है दुखदाई , तेरा जो है आज विदाई। हर उन्नति में साथ चला तू स्नेह प्यार सत्कार भरा तू करूणा ममता त्याग तपस्या हार जीत भी और समस्या सब कुछ आया और गया भी यादों का देकर सौगात कैसे भूलूं भूल ना पाऊं तेरे संग बीती हर बात एक भी बातें भूल ना पायी, तेरा जाना है दुखदाई , तेरा जो है आज विदाई। तुझसे जुड़ी जीवन की बातें हर एक दिन और हर एक रातें जैसे भी बीता पर बीता तुम्हीं रामायण तुम्हीं था गीता कुछ खोया तो कुछ था पाया जैसा जिसने कर्म किया था फल भी तो वैसा पायेगा परिवर्तन है नियम नियति का जो आया सो एक दिन जाई, तेरा जाना है दुखदाई , तेरा जो है आज विदाई। हुआ कभी था स्वागत तेरा था खुशियों का उदित सवेरा स्वागत का संगीत बजा था अर्पित श्रद्धा सुमन हुआ था यादों में जो सुधा घोल कर दूर चले हो अब हम सबसे याद रहेगा दिन तारीखें अच्छे बुरे किए सब बाते जा जा अब तू छोड़ सभी को सोंच सोंच आंखे भर आई, तेरा जाना है दुखदाई , तेरा जो है आज विदाई। रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...