कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम 86052 0 Hindi :: हिंदी
अखबारों ,की यह सुर्खियां , फिर ,इक मां ,का कलेजा फटता होगा,। जब ,ये ,नन्ही सी बेटीयां,पैदा होती ,है,न,। अनुभूति ,ऐसी,होती है,।जैसे ,खुद आकर ,ईश्वर ,आँचल ,से लिपट ,कर लेटा होगा,। यह , गुनाहों का अंक बढ़ता ,देख,। तुम ,क्या ,जानो, आंखों ,में,नया ,इक,कल ,कितना ,खटकता होगा,। आंसू ,नहीं, लहू ,छलकाती ,आज ,की,कविताएँ,। जरा ,पूछो,इस घड़ी ,से,। कागज पर किसका भरोसा होगा,। अधजली ,ये बेटियां, खंजर ऐसा ,भी ,इस देश में न बनने दो , मरते ~ मरते आखिरकार , कह जाती है, ।"किसी ने तुम्हें भी बांधी ,थी ,इक डोर, कलाई,तो पड़ने दो,"। आह ,ये ,खंजर ,।सीना ,मेरी माँ,का मरता होगा,। बेटी ,हूँ,न,। दरिया ,दरिया , इक,आंसू ,उतरता होगा,।। कविता पेटशाली 😥😥😥😥😥😥
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