Raj Ashok 26 Jul 2023 कविताएँ समाजिक माँ 8376 0 Hindi :: हिंदी
माँ, कोई शब्द नहीं । ये जीवन शक्ति है । समझों तो, माँ को माँ, का हर कदम, त्याग, प्रेम बलिदान पे अर्पण है। ये वर्तमान ,भविष्य का एक दर्पण है। सारी उम्र ,हदय से लगा के रखती ,अपने लाल को , भुलती नहीं, कभी ,औलाद के किसी सवाल को, जीवन के हर सघर्ष मे वो सुबहाँ सी, हमे उठाती है। माँ, बूढी हूई तो क्या ? जीत तो माँ के आशीर्वाद से ही मिल जाती है। तभी, तो हर माँ जग मे जगत् - जननी कहलाती है ।