संदीप कुमार सिंह 17 Jan 2024 कविताएँ समाजिक How to learn poem written?How to created you tube channel?How to published articles? 3234 0 Hindi :: हिंदी
कुछ तो हो बदलाव अब,जब हो भला विचार। दुनिया सुन्दर अति लगे, जन्मे खाली प्यार।। कुछ तो हो बदलाव अब,रखें नजर को साफ। अच्छा ही तब सब दिखे,गलती भी हो माफ।। कुछ तो बदलाव अब,इसका ले लें लाभ। लगती जन्नत है धरा,रहते तब कनकाभ।। कुछ तो बदलाव अब,करता समय पुकार। मैं मौसम का हो चलूं,जैसे हूं अवतार।। कुछ तो बदलाव अब,शान्ति खुशी हो साथ। दुख सुख में जो सम रहें,खुशियों में हो हाथ।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....