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बुलबुले पानी पर कविता-चमकती धूप में खेलते जल बुलबुले

Shivani singh 18 Jul 2023 कविताएँ अन्य 8458 1 5 Hindi :: हिंदी

चमकती धूप में खेलते जल बुलबुले,
छोटी सी तलवारों से उछलते दिल के खिलबुले।

नदी की लहरें झूम कर आती हैं छलकती,
पानी के ज़रिए बच्चों को अपना रंग भरती।

पल-पल नदी का सफर, लहरों का खेल दिखाता,
माँ की गोदी में बच्चे खेलते हैं मस्ती भरा गीत गाता।

बच्चों की मुस्कान देख कर, खिलखिलाता बुलबुला हँसता,
पानी के किनारे खड़े लोगों को उनसे जोड़कर गाता।

छोटे-छोटे पानी के गमलों में खिलते फूल खुलते,
प्यासे भूके किसान उनमें अपनी ज़िन्दगी की भागमभाग देखते।

जब बुलबुले पानी में उछलते आएं,
प्रकृति भी हरे-भरे रंग में सजलती दिखाएं।

हर एक बूंद अपनी खुशियों की कहानी सुनाएं,
बुलबुलों की गायकी से प्रकृति हर पल नवीन बनाएं।

बच्चों की मस्ती, पानी का खिलखिलाहट बिखराती,
नदी के तट पर सभी खेलते, सब जीवन संग समर्थ बनाते।

पानी की महत्ता है अजब, सबके लिए एक समान,
इसे बचाएं, संरक्षित करें, यही विकल्प बना लें हम।

बुलबुले पानी की कविता गाते जाएं,
प्रकृति के संग सदा नए रंग बिखराते जाएं।

Comments & Reviews

संदीप कुमार सिंह
संदीप कुमार सिंह बहुत खूब, लाजवाब।

8 months ago

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